Divya Drashti
Monday, October 5, 2015
Sunday, October 4, 2015
Eternal journey of Life
विदा हो रहा वह मनोभाव जो खुद व्यथा की कहानी है
जीना तुम सिर्फ सर उठाकर वरना सब फिर बेमानी है
जीना तुम सिर्फ सर उठाकर वरना सब फिर बेमानी है
आना-जाना अगर नियति है तो यह प्रयास नादानी है
अपनी कश्ती खुद संभालो मौसम दिख रहा तूफानी है
अपनी कश्ती खुद संभालो मौसम दिख रहा तूफानी है
खेल नियंता का सतत यहाँ, सुःख-दुःख तो बस पानी है
हर कंकर पर एक लहर उठती, जो समझा वही ज्ञानी है
हर कंकर पर एक लहर उठती, जो समझा वही ज्ञानी है
जो सोचता वही है पाता मिटती कहाँ कोई निशानी है
मिट्टी खुदमें मिली बारम्बार जीवन सतत रवानी है
मिट्टी खुदमें मिली बारम्बार जीवन सतत रवानी है
हो सके तो समझना जर-जीवन मेला सबकी जुबानी है
क्या गीता क्या हो कुरान सरगम वही शाश्वत पुरानी है
-डॉ अभय
क्या गीता क्या हो कुरान सरगम वही शाश्वत पुरानी है
-डॉ अभय
keep on moving in life .....
अनंत यात्रा का यह पड़ाव, इस बेंच की तरह देता गवाही चरैवेति-चरैवेति का मंत्र, चलना ही बस नियति है राहीसमय की खरपतवार जानिब, कभी संस्कारों की काई हैलेखनी का लेख अमिट यहाँ , सूखती कब यहाँ स्याही हैथक कर थोड़ी देर बैठ जाना, तो मुनासिब यहाँ लगता है आगे फिर एक नया पड़ाव, फिर तुम्हारा रास्ता तकता हैचलो बढ़ चलो उस पार की, सुखद उजालो की सुध आती है जीवन संघर्ष एक अनंत यात्रा, जैसे बने दिया और बाती है- प्रो. अभय
Importance of the Zero in daily life....
I had written some lines for one of my student.. who believes that people are taking her not seriously... so dont get upset rather it is an asset. let me put it in this way...
शुन्य होना गौरव भी है और शुन्य में ही भलाई
इसके आगे की संख्या खुद ईश्वर ने नहीं बनाई
शुन्य अनंत है गुणातीत है और अविभक्त भी
शुन्य आराध्य भी है और नैसर्गिक भक्त भी
इसके आगे की संख्या खुद ईश्वर ने नहीं बनाई
शुन्य अनंत है गुणातीत है और अविभक्त भी
शुन्य आराध्य भी है और नैसर्गिक भक्त भी
शुन्य की महिमा में टीचर भी कसीदे पढ़ते
बच्चे भी इससे पाने को जीवन भर तरसते
सच मनो शुन्य जीवन का है अनोखा दर्पण
इसको पाने को करना होता है ज्ञान का तर्पण
बच्चे भी इससे पाने को जीवन भर तरसते
सच मनो शुन्य जीवन का है अनोखा दर्पण
इसको पाने को करना होता है ज्ञान का तर्पण
तो तुम क्यों निराश हो जो लोग शुन्य मानते
सच कहे वह तो तुम्हारी गहराई नहीं है जानते
जिस दिन जान जायेंगे उस दिन कहते आएंगे
सखी ! यह ज्ञान का भेद जरा हमे भी कराएँगे
- डॉ अभय
सच कहे वह तो तुम्हारी गहराई नहीं है जानते
जिस दिन जान जायेंगे उस दिन कहते आएंगे
सखी ! यह ज्ञान का भेद जरा हमे भी कराएँगे
- डॉ अभय
गहन उत्तंग हिमालय की
इन हिम शिखरों को देखो आज
शुद्ध श्वेत धवल इन मुखमंडलों
से फिर मिलकर देखो आज
जीजिवषा के है अद्भुत नायक
अदम्य हौसलों के परिचायक
अपनी मस्ती में बस निखरते
हर और सिर्फ प्रसन्नता बिखेरते
संघर्षो के यह सतत संदेशवाहक
आध्यात्मिक उत्कृष्टा के दिशाधारक
शांत रहकर परिस्थति से लोहा लेते
हर साधक का सहज मन मोह लेते
निरंतर प्रेरणा बस समप्रेषित करते
जिंदगी में नित नवीन उत्साह भरते
सिर्फ आपसे एक ही अपेक्षा रखते
उत्कृष्टता बिना जीवन नहीं संवारते
- डॉ. अभय
Photography masetro Ashok Dilwali
It all started in life. the moment you are in the game begins. if you like it or not, it doesn't matter. you have to play. it is suggestive that play with whole heart. Play with there is no tomorrow. Play for win. play for setting standards. play for making other feels that they had a tough opponent.
So it is natural phenomena to get into the ring not as a spectator but as a perfect player. every stroke played by you should be a master stroke. The spectator must enjoyed by your game and they must feel it is Paisa wasool performance. So keep on playing and enjoy the show.
युद्ध तो अनवरत जारी रहेगा,
आशा और अपेक्षा के मैदान में
कर्तव्य भी बखूबी निभ जायेंगे
जब निकल पड़े सीना तान के
आशा और अपेक्षा के मैदान में
कर्तव्य भी बखूबी निभ जायेंगे
जब निकल पड़े सीना तान के
कर्त्तव्य का अहसास होना भी
अपने में कोई छोटी बात नहीं
संकल्प और हौसलों की आगे
नामुमकिन कोई मुकाम नहीं
- डॉ अभय
अपने में कोई छोटी बात नहीं
संकल्प और हौसलों की आगे
नामुमकिन कोई मुकाम नहीं
- डॉ अभय
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